Class 10 History Chapter 1 [ संसाधन एवं विकास ] Notes in Hindi 2022-23

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अध्याय - 1
"संसाधन एवं विकास".

जानने योग्य तथ्य तथा महत्त्वपूर्ण शब्दावली :-

* प्रकृति से प्राप्त विभिन्न वस्तुएँ जो हमारी आवश्यकताओं को पूरा करने में प्रयुक्त होती हैं, जिनको बनाने के लिए प्रौद्योगिकी उपलब्ध हैं (जो आर्थिक रूप से संभाव्य और सांस्कृतिक रूप से मान्य हैं।)- संसाधन कहलाती हैं।

* जीव मंडल से प्राप्त संसाधन जैव संसाधन कहलाते हैं।

* निर्जीव वस्तुओं द्वारा निर्मित संसाधन, अजैव संसाधन कहलाते हैं।

* वे संसाधन जिन्हें विभिन्न भौतिक, रासायनिक अथवा यांत्रिक प्रक्रियाओं के द्वारा पुनः उपयोगी बनाया जा सकता है, नवीकरणीय संसाधन कहलाते हैं। जैसे- वायु, जल, सूर्य का प्रकाश आदि।

* वे संसाधन जिन्हें एक बार उपयोग में लाने के बाद पुनः उपयोग में नहीं लाया जा सकता, इनका निर्माण तथा विकास एक लंबे भूवैज्ञानिक अंतराल
में हुआ है, अनवीकरणीय संसाधन कहलाते हैं।
जैसे- खनिज।

* निजी स्वामित्व वाले व्यक्तिगत संसाधन कहलाते हैं।

* वे संसाधन जिनका उपयोग समुदाय के सभी लोग करते हैं, सामुदायिक संसाधन कहलाते हैं।

* किसी भी प्रकार के संसाधन जो राष्ट्र की भौगोलिक सीमा के भीतर मौजूद हों, राष्ट्रीय संसाधन होते हैं। व्यक्तिगत, सामुदायिक संसाधनों को राष्ट्र हित में राष्ट्रीय सरकार द्वारा अधिगृहीत किया जा सकता है।

* वे संसाधन जो किसी क्षेत्र में विद्यमान तो हैं, परंतु इनका उपयोग नहीं हो रहा है, संभावी संसाधन कहलाते हैं।

* वे संसाधन जिनका सर्वेक्षण किया जा चुका है, इनके उपयोग की गुणवत्ता तथा मात्रा निर्धारित हो चुकी है, उन्हे विकसित संसाधन कहते हैं।

* प्रकृति में उपलब्ध होने वाले वे पदार्थ जो मानव आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकते हैं। लेकिन तकनीकी ज्ञान न होने या पूरी तरह विकसित न होने
के कारण पहुँच के बाहर हैं, भंडार कहलाते हैं।

* सतत् पोषणीय विकास - इस तरीके से विकास किया जाए जिससे पर्यावरण को हानि न पहुँचे तथा वर्तमान में किए जा रहे विकास के द्वारा भावी
पीढ़ियों की आवश्यकताओं की अवहेलना न हो।

* संसाधन नियोजन - ऐसे उपाय अथवा तकनीक जिसके द्वारा संसाधनों का उचित प्रयोग सुनिश्चित किया जा सके।

* संसाधन संरक्षण - संसाधनों का न्यायसंगत तथा योजनाबद्ध प्रयोग, जिससे संसाधनों का अपव्यय न हो।

* भूमि निम्नीकरण - विभिन्न प्राकृतिक तथा मानवीय क्रियाकलापों द्वारा मृदा का कृषि के योग्य न रह पाना।

* निवल अथवा शुद्ध बोया गया क्षेत्र - वह क्षेत्र जहाँ वर्ष में एक बार या एक से अधिक बार कृषि की गई हो।

* कुल बोया गया क्षेत्र - शुद्ध बोए गए क्षेत्र में परती भूमि को जोड़ना।

* परती भूमि - वह भूखंड जिस पर कुछ समय खेती नहीं की जाती और खाली छोड़ दिया जाता है।

* बंजर भूमि - वह भूखंड जिस पर कोई पैदावार नहीं होती तथा जो पहाड़ी, रेतीली अथवा दलदली होती है।

* लैटेराइट मृदा - अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में मिट्टी की ऊपरी परत के तेजी से कटाव से निर्मित मृदा।

* मृदा अपरदन - प्राकृतिक कारकों द्वारा मृदा का एक स्थान से हटना।

* उत्खात भूमि - प्रवाहित जल तथा पवनों के द्वारा किए जाने वाले मृदा
अपरदन से उत्खात भूमि का निर्माण होता है।

 

अति लघु उत्तर वाले प्रश्न (1 अंक वाले प्रश्न)

1. भारत में सबसे अधिक कौन सी मृदा पाई जाती है ? इसका निर्माण किस प्रकार हुआ?

उत्तर :- जलोढ़ मृदा। इसका निर्माण नदियों द्वारा लाए गए अवसादों से हुआ है।


2. महाराष्ट्र, सौराष्ट्र और मालवा में कौन सी मृदा पाई जाती है ? इस मृदा का निर्माण किस प्रकार हुआ?

उत्तर :- काली मृदा (रेगर मृदा)- इसका निर्माण ज्वालामुखी के मैग्मा तथा आग्नेय शैलों के द्वारा हुआ है।


3. मृदा निर्माण की प्रक्रिया में किन्हीं दो महत्त्वपूर्ण कारकों के नाम लिखिए?

उत्तर :- 1) उच्चावच
2) जनक शैल
3) जलवायु
4) वनस्पति
5) संस्तर शैलें
6) ह्यूमस
7) समय


4. भारत में पाई जाने वाली विभिन्न मृदाओं में से किन्हीं दो के नाम लिखो।

उत्तर :- 1) जलोढ़ मृदा
2) काली मृदा
3) लाल व पीली मृदा
4) लैटेराइट मृदा
5) मरूस्थलीय मृदा
6) वन मृदा


5. वन मृदा की दो विशेषताएँ लिखो?

उत्तर :- 1) नदी घाटियों में मृदा दोमट तथा सिल्टदार परंतु ऊपरी ढलानों पर इनका गठन मोटे कणों द्वारा।
2) हिमालय के हिम क्षेत्रों में ये अधिसिलिक तथा ह्यूमस रहित


6. मरूस्थलीय मृदा की दो विशेषताएँ बताइए?

उत्तर :- 1) रंग लाल और भूरा
2) रेतीली और लवणीय
3) ह्यूमस और नमी की मात्रा कम।


7. पृथ्वी सम्मेलन 1992 का मुख्य उद्देश्य क्या था?

उत्तर :- पर्यावरण संरक्षण तथा सामाजिक आर्थिक विकास की समस्याओं का हल ढूँढना।


8. एजेंडा 21 क्या है?

उत्तर :- एक कार्यसूची है, जिसका उद्देश्य समान हितों, पारस्परिक आवश्यकताओं एवं सम्मिलित जिम्मेदारियों के अनुसार विश्व सहयोग के द्वारा पर्यावरणीय क्षति, गरीबी और रोगों से निपटना है।


9. किन्हीं दो राज्यों के नाम बताइए जहाँ सोपानी कृषि (सीढ़ीदार कृषि) की जाती है? इस प्रकार की कृषि का क्या लाभ है?

उत्तर :- जम्मू व कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, अरूणाचल प्रदेश, मणिपुर, नागालैंड, मिजोरम। यह मृदा अपरदन को नियंत्रित करती है।

 

10. ऐसी दो मानवीय क्रियाएँ लिखें जिनके द्वारा भूमि का निम्नीकरण होता

उत्तर :- 1) अति पशुचारण 2) वनोन्मूलन
3) खनन 4) अत्यधिक भौमजल का निष्कासन

 


लघु/दीर्घ उत्तर वाले प्रश्न 3/5 अंक वाले प्रश्न


1. संसाधनों के अति उपभोग से कौन-कौन सी समस्याएँ उत्पन्न हुई हैं ?

उत्तर :- 1) संसाधनों का ह्रास
2) संसाधन समाज के कुछ ही लोगों के हाथ में। एक संसाधन साधन संपन्न दूसरा संसाधन हीन वर्ग।
3) वैश्विक पारिस्थतिक संकट जैसे भूमंडलीय तापन (ग्लोबल वार्मिंग), ओजोन परत का क्षय, पर्यावरण प्रदूषण, भूमि निम्नीकरण का होना।


2. 'खादर' और 'बांगर' में क्या अंतर है?

उत्तर :- खादर
1) नवीन जलोढ़ मृदा
2) अधिक बारीक व रेतीली
3) बार बार नवीकरण
4) नदी के पास डेल्टा तथा बाढ़ निर्मित मैदानों में पाई जाती है। जाती है।

बांगर
1) प्राचीन जलोढ़ मृदा
2) कंकड़ तथा कैल्शियम कार्बोनेट
3) बार बार नवीकरण नहीं
4) नदी से दूर ऊँचे स्तर पर पाई

 

3. पृथ्वी सम्मेलन 1992 पर टिप्पणी लिखो।

उत्तर :- * जून 1992 में रियो डिजेनेरो (ब्राजील) में आयोजित।
* 100 से अधिक देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने भाग लिया।
* विश्व स्तर पर उभरते पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक-आर्थिक समस्याओं का हल ढूंढ़ने के लिए आयोजित।
* नेताओं द्वारा भूमंडलीय जलवायु परिवर्तन और जैविक विविधता के घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए गए।
* भूमंडलीय वन सिद्धांतों पर सहमति।

 

4. मृदा अपरदन को किस प्रकार रोका जा सकता है ? विभिन्न उपायों को लिखो।

उत्तर :- 1) नदियों पर बाँध बनाकर उनके बहाव को कम करना।
2) अधिक से अधिक वृक्ष लगाना।
3) मरूस्थलीय क्षेत्रों में काँटेदार वनस्पति लगाकर।
4) पहाड़ी क्षेत्रों में सीढ़ीनुमा खेत बनाकर।
5) मरूस्थलीय क्षेत्रों के किनारों पर पेड़ लगाकर।

 

5. शुद्ध बोए गए क्षेत्र तथा कुल बोए गए क्षेत्र में अंतर स्पष्ट कीजिए?

उत्तर :- शुद्ध बोया गया क्षेत्र :-
1) कुल ज्ञात क्षेत्रफल का वह भाग जो कृषि के लिए उपयोगी।
2) भारत में कुल क्षेत्रफल का लगभग आधा भाग शुद्ध बोया गया क्षेत्र
3) इसकी गणना वर्ष में एक फसल के आधार पर की जाती है।

कुल बोया गया क्षेत्र :-

1) वह क्षेत्र जिसमें कृषि अवधि में एक से अधिक फसलें बोई जाती हैं।
2) कुल बोया गया क्षेत्र भारत में शुद्ध बोए गए क्षेत्र से बहुत अधिक।
3) गणना वर्ष में एक से अधिक फसलों के बोए जाने के आधार पर।

 

6. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर' संसाधन संरक्षण' के लिए क्या-क्या प्रयास किए गए

उत्तर :- 1) 1968 में 'क्लब ऑफ रोम' ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यवस्थित ढंग से संसाधन संरक्षण के पक्ष में अपनी आवाज उठाई।
2) 1974 में शुमेकर ने पुस्तक ‘स्माल इज ब्यूटीफुल' में गाँधी के दर्शन की पुनरावृत्ति की।
3) 1987 में ब्रटलैण्ड आयोग ने 'सतत पोषणीय विकास' की संकल्पना प्रस्तुत की।
4) महत्त्वपूर्ण योगदान पृथ्वी सम्मेलन 1992 द्वारा किया गया।

 

7. संसाधन नियोजन से आप क्या समझते हैं ? संसाधनों का संरक्षण क्यों आवश्यक है?

उत्तर :- संसाधन नियोजन 'संसाधनों के उचित उपयोग की तकनीक और कौशल।' संसाधन नियोजन की आवश्यकता
1) संसाधन सीमित तथा उनका वितरण असमान।
2) विवेकपूर्ण उपयोग के लिए नियोजन अत्यंत महत्त्वपूर्ण
3) कुछ संसाधन अनवीकरणीय हैं।

 

8. स्वामित्व के आधार पर संसाधनों के विभिन्न प्रकारों को समझाइए।

उत्तर :- स्वामित्व के आधार पर संसाधनों का वर्गीकरण -

ए) व्यक्तिगत संसाधन -
* व्यक्ति के स्वामित्व में
* बाग, चारागाह, तालाब, कुआँ आदि

बी) सामुदायिक संसाधन -
समुदाय के सभी लोगों को उपलब्ध
* गाँव की पशुचारण भूमि, श्मशान भूमि, तालाब
* नगरीय क्षेत्रों में पार्क, पिकनिक स्थल, खेल के मैदान।

सी) राष्ट्रीय संसाधन -
* तकनीकी रूप से सभी संसाधन राष्ट्रीय हैं।
* राष्ट्रीय सरकार को अधिकार है कि वह राष्ट्र हित में व्यक्तिगत संसाधनों का अधिग्रहण कर सकती है।
* खनिज, संसाधन, जल संसाधन, वन तथा वन्य जीवन, राजनैतिक सीमाओं के भीतर संपूर्ण भूमि।
* 12 समुद्री मील (19.2 कि. मी.) तक महासागरीय क्षेत्र में पाए जाने वाले सभी संसाधन राष्ट्रीय हैं।

डी) अंतर्राष्ट्रीय संसाधन -
* अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा नियम बनाना।
* तट रेखा से 200 किलोमीटर से परे खुले महासागरीय संसाधनों पर किसी देश का अधिकार नहीं।
* अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं की अनुमति के बिना उपयोग नहीं।

 

9. मृदा निर्माण में कौन कौन से कारक उत्तरदायी हैं ? स्पष्ट करो।

उत्तर :- 1) शैल - मृदा के लिए उचित सामग्री मिलना।
2) जलवायु- लंबी अवधि में शैलों को छोटे-छोटे टुकड़ों तथा कणों में बदलना।
3) पेड़ पौधे- जड़ें शैलों में घुसकर उन्हें तोड़ फोड़ देती हैं।
4) अति चारण - पशुओं द्वारा निरंतर चराई से शैलों में परिवर्तन संभव।
5) वर्षा - वर्षा का जल शैलों के छिद्रों में घुसकर तोड़फोड़ का कार्य करता है। लंबे समय तक इन कारकों के क्रियाशील रहने से शैलों में टूटने की क्रिया चलती रहती है। धीरे-धीरे मृदा का निर्माण होता है।


10. भारत में पाई जाने वाली मृदाओं का वर्णन करो तथा उनका वितरण भारत के मानचित्र में दर्शाइए।

उत्तर :- 1) जलोढ़ मृदा-
* संपूर्ण उत्तरी मैदान में फैलाव
* सिंधु, गंगा तथा ब्रह्मपुत्र, नदी तंत्रों द्वारा विकसित
* रेत, सिल्ट तथा मृत्तिका के विभिन्न अनुपात
* बहुत उपजाऊ तथा गन्ना, चावल, गेहूँ आदि
फसलों के लिए उपयुक्त

2) काली मृदा -
* रंग काला तथा दूसरा नाम रेगर मृदा
* कपास तथा मूंगफली की खेती के लिए अत्यंत उपयुक्त।
* महाराष्ट्र, सौराष्ट्र, मालवा, मध्य प्रदेश और
* छत्तीसगढ़ के पठार में
पाई जाती है।

 

 

 

प्रश्न अभ्यास

पाठ्यपुस्तक से संक्षेप में लिखें

1. बहुवैकल्पिक प्रश्न

(i) लौह अयस्क किस प्रकार का संसाधन है?

(क) नवीकरण योग्य
(ख) प्रवाह
(ग) जैव
(घ) अनवीकरण योग्य

(ii) ज्वारीय ऊर्जा निम्नलिखित में से किस प्रकार का संसाधन है?

(क) पुनः पूर्ति योग्य
(ख) अजैव
(ग) मानवकृत
(घ) अचक्रीय

(iii) पंजाब में भूमि निम्नीकरण का निम्नलिखित में से मुख्य कारण क्या है?

(क) गहन खेती
(ख) अधिक सिंचाई
(ग) वनोन्मूलन
(घ) अति पशुचारण

(iv) निम्नलिखित में से किस प्रांत में सीढ़ीदार (सोपानी) खेती की जाती है?

(क) पंजाब
(ख) उत्तर प्रदेश के मैदान
(ग) हरियाणा
(घ) उत्तरांचल

(v) इनमें से किस राज्य में काली मृदा पाई जाती है?

(क) जम्मू और कश्मीर
(ख) राजस्थान
(ग) गुजरात
(घ) झारखंड

उत्तर:- (i) (घ) (ii) (क) (iii) (ख) (iv) (घ), (v) (घ)।

 

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए
(i) तीन राज्यों के नाम बताएँ जहाँ काली मृदा पाई जाती है। इस पर मुख्य रूप से कौन-सी फसल उगाई जाती है?

उत्तर:- काली मृदा का रंग काला होता है। इन्हें रेंगर मृदा भी कहते हैं। ये लावाजनक शैलों से बनती हैं। ये मृदाएँ महाराष्ट्र, सौराष्ट्र, मालवा, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के पठार पर पाई जाती हैं। काली मृदा कपास की खेती के लिए उचित समझी जाती है। इसे काली कपास मृदा के नाम से भी जाना जाता है।


(ii) पूर्वी तट के नदी डेल्टाओं पर किस प्रकार की मृदा पाई जाती है? इस प्रकार की मृदा की तीन मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

उत्तर:- पूर्वी तट के नदी डेल्टाओं पर जलोढ़ मृदा पाई जाती है। इस जलोढ़ मृदा की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

• यह मृदा हिमालय के तीन महत्त्वपूर्ण नदी तंत्रों- सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों द्वारा लाए गए निक्षेपों से | बनी है।
• जलोढ़ मृदा में रेत, सिल्ट और मृत्तिका के विभिन्न अनुपात पाए जाते हैं। जैसे-जैसे हम नदी के मुहाने से घाटी में ऊपर की ओर जाते हैं, मृदा के कणों को आकार बढ़ता चला जाता है।
• जलोढ़ मृदा बहुत उपजाऊ होती है। अधिकतर जलोढ़ मृदाएँ पोटाश, फास्फोरस और चूनायुक्त होती हैं जो इनको | गन्ने, चावल, गेहूँ और अन्य अनाजों और दलहन फसलों की खेती के लिए उपयुक्त बनाती हैं। अधिक उपजाऊपन के कारण जलोढ़ मृदा वाले क्षेत्रों में गहन कृषि की जाती है।


(iii) पहाड़ी क्षेत्रों में मृदा अपरदन की रोकथाम के लिए क्या कदम उठाने चाहिए?

उत्तर:- मृदा के कटाव और उसके बहाव की प्रक्रिया को मृदा अपरदन कहते हैं। विभिन्न मानवीय तथा प्राकृतिक कारणों से मृदा अपरदन होता रहता है। पहाड़ी क्षेत्रों में मृदा अपरदन की रोकथाम के लिए निम्नलिखित तरीके अपनाए जाने चाहिए

• पर्वतीय ढालों पर समोच्च रेखाओं के समानांतर हल चलाने से ढाल के साथ जल बहाव की गति घटती है। इसे | समोच्च जुताई कहा जाता है।
• पर्वतीय ढालों पर सीढ़ीदार खेत बनाकर अवनालिका अपरदन को रोका जा सकता है। पश्चिमी और मध्य हिमालय में सोपान अथवा सीढ़ीदार कृषि काफी विकसित है।
• पर्वतीय क्षेत्रों में पट्टी कृषि के द्वारा मृदा अपरदन को रोका जाता है। इसमें बड़े खेतों को पट्टियों में बाँटा जाता | है। फसलों के बीच में घास की पट्टियाँ उगाई जाती हैं। ये पवनों द्वारा जनित बल को कमजोर करती हैं।
• पर्वतीय ढालों पर बाँध बनाकर जल प्रवाह को समुचित ढंग से खेती के काम में लाया जा सकता है। मृदा रोधक बाँध अवनालिकाओं के फैलाव को रोकते हैं।


(iv) जैव और अजैव संसाधन क्या होते हैं? कुछ उदाहरण दें।

उत्तर:- जैव संसाधन-वे संसाधन जिनकी प्राप्ति जीवमंडल से होती है और जिनमें जीवन व्याप्त होता है, जैव संसाधन कहलाते हैं, जैसे-मनुष्य, वनस्पति जगत, प्राणी जगत, पशुधन तथा मत्स्य जीवन आदि। अजैव संसाधन-वे सारे संसाधन जो निर्जीव वस्तुओं से बने हैं, अजैव संसाधन कहलाते हैं, जैसे-चट्टानें और धातुएँ ।

 


3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए
(i) भारत में भूमि उपयोग प्रारूप का वर्णन करें। वर्ष 1960-61 से वन के अंतर्गत क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण वृद्धि नहीं हुई, इसका क्या कारण है?

उत्तर:- भारत में भूमि का उपयोग अलग-अलग प्रकार के कार्यों में किया जाता है। कुल भूमि में से 93 प्रतिशत भोग के ही उपयोग के आँकड़े उपलब्ध हैं। कुल प्राप्त भूमि में से 46.6 प्रतिशत भूमि शुद्ध बोये गए क्षेत्र के अंतर्गत आती है।

22.5 प्रतिशत भूमि पर वन हैं। 13.8 प्रतिशत भूमि बंजर और कृषि अयोग्य भूमि है। 7.7 प्रतिशत भूमि परती भूमि है। 4.8 प्रतिशत भूमि पर चारागाह और बागान हैं। 4.6 प्रतिशत बंजर भूमि है। वर्ष 1960-61 से वन के अंतर्गत क्षेत्र में वृद्धि तो हुई है किंतु यह वृद्धि बहुत मामूली है। राष्ट्रीय वन नीति (1952) के अनुसार 33 प्रतिशत भूमि पर वन होने चाहिए किंतु भारत में बढ़ती जनसंख्या, अधिक औद्योगीकरण आदि के कारण निरंतर वनों के कटाव से वन भूमि में अधिक वृद्धि नहीं हो पाई है। लगातार भू-उपयोग के कारण भू-संसाधनों का निम्नीकरण हो रहा है। अधिक वन पर्यावरण को संतुलित करते हैं, मृदा अपरदन को रोकते हैं तथा भूमि को निम्नीकरण से बचाते हैं। इसलिए अधिक-से-अधिक वृक्ष लगाकर वनों के प्रतिशत को बढ़ाना जरूरी है।

 


परियोजना कार्य प्रश्न

1. अपने आसपास के क्षेत्रों में संसाधनों के उपभोग और संरक्षण को दर्शाते हुए एक परियोजना तैयार करें।

उत्तर:- विद्यार्थी इस परियोजना को स्वयं करें। प्रश्न

 

2. आपके विद्यालय में उपयोग किए जा रहे संसाधनों के संरक्षण विषय पर अपनी कक्षा में एक चर्चा आयोजित करें।

उत्तर:- विद्यार्थी अध्यापक की उपस्थिति में अपनी कक्षा में उपरोक्त विषय पर चर्चा करें। प्रश्न


3. वर्ग पहेली को सुलझाएँ; ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज छिपे उत्तरों को ढूंढे।
नोट: पहेली के उत्तर अंग्रेजी के शब्दों में है। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ संख्या 14 देखें)

उत्तर:-
• भूमि, जल, वनस्पति और खनिजों के रूप में प्राकृतिक सम्पदा-Resources
• अनवीकरण योग्य संसाधन का एक प्रकार-Minerals
• उच्च नमी रखाव क्षमता वाली मृदा-Black soil
• मानसून जलवायु में अत्यधिक निक्षालित मृदाएँ-Laterite soil
• मृदा अपरदन की रोकथाम के लिए बृहत् स्तर पर पेड़ लगाना-Afforestation
• भारत के विशाल मैदान इन मृदाओं से बने हैं-Alluvial soil.

 

 

 

 

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